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गामक कोजागरा

गाम घर सं बाहर रहला पर कतेक चीज पाछा छुटि जाइत अछि... एकरा अहां एहि बात सं बुझि सकय छी जे आई कोजगरा अई आ दिल्ली में रहला के कारण हमरा ध्यान पर नहिं छल...सांझ में जखन गाम फोन कयलौंह त मां कहलथिन्ह जे भैया पूजा के तैयारी में जुटल छथिन्ह...आई कोजागरा छै न ! ...अहां पान मखान खा लेब...हम कहलन्हि हमरा ध्याने पर नहिं छल.
गाम-घर पर रहला पर कोजगरा में बड़ उत्साह रहैत छल... मखान... पान.. मिश्री... बताशा.. नारियल.. मेवा.. मिठाई सभक पूजा होइल छल...गाम भर के लोक में बांटल जाइत छल आओर हमहुं सभ झुंड में लोक सभक दलान पर जा मखान मिश्री खाइ छलहुं...
कोजागरा आश्विन पूर्णिमा के मनायल जाइत छै...मानल जाइ छै आश्विन पूर्णिमा के राति सभसं उजर होइछ...एहि राति चांद अपन सभ शीतलता...प्रकाश लोक के द दैत छथिन्ह... ई दुर्गापूजा आओर दिवाली के बीच में पड़य छै...कोजागरा पावनि में घर के कुलदेवता या कुलदेवी के पूजा होइत अछि...आ सभसं बड़का बात ई छै जे जहि घर में कोनो शादी -विवाह भेल रहय छै हुनका ओहिठाम विशेष पूजा होइ छै...नव विवाहित लोकक ओहिठाम विशेष रमन चमन रहय छै...जेहि लड़का के एहि बेर शादी भेल होयतन्हि ओ सभ अखन गाम में होताह....एहि में लड़की वाला ओतय सं लड़का वाला के ओहिठाम मखान..पान...मिश्री...कई तरहक मेवा..मिठाई भेजल जाइत अछि...आ सामान सभ के डाला में खूब नीक सं सजा क भेजल जाइल अछि...डाला में लाल धान रखि... ओकरा ऊपर सभ सामान के सजाकय रखल जाइत अछि... पान, मखान, मेवा आओर मिठाई के संगहि वरपक्ष के सभ लोकक लेल कपड़ा...कौड़ी..पचीसी भेजय के सेहो रिवाज छै...कहल जाइत अछि जे कोजागरा के दिन पचीसी खेलनाय शुभ होइछ...एहि दिन राति में गीत-नाद सेहो होइछ...आओर लड़की पक्ष सं जे बोरा भरि-भरि मखान आबैत अछि ओकरा गाम भरक लोक सभ में बांटल जाइत अछि...भोज -भात सेहो होइछै...मिथिला के एहि तरहक परम्परा के तं बाते नहिं करु...गाम पर नहिं रहला पर केवल यादे टा आबैत रहय छै.

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